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गुरुवार, 7 जुलाई 2016

शब्दा-धारा (14 ) सपनों का हवामहल

 शब्दा-धारा (14 ) सपनों  का  हवामहल 

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बहुत  कम सपने हक़ीक़त बनते हैं ,
हक़ीक़त ज़रूर सपना बन जाती है ,
हक़ीक़त ओर सपनें का भेद मिटता है ,
जब कभी गहरी नींद आती है। 

गरीबदास सपने में देखता है, एक लाख ,
बस ,इतना देखना काफी है ,सही है ,
-जिन्दिगी के धोबी-पाट ने इतना पछाड़ा है ,
उसके सपनों पर भी सीलिंग लग गई है। 

एक लाख में ख़ुश होगा गरीब , गरीबदास ,
सपने में ऊपर वाले मालिक  के गुन गायेगा ,
कभी इस मुफ़लिस की पहचान थी दाल-रोटी ,
सपनों का अमीर, एक किलो दाल लाएगा। 

चालीस उमर  की हीरोइन सपने देखती है ,
अपनी निगाह में बीस की नज़र आती है ,
तभी दिखता है बीस में ,चप्पले चटकाता, अतीत ,
उमर ,पच्चीस -तीस पर अटक जाती है। 

अरबपति के सपने हाई -फाई होते हैं ,
-डेसीमल ,कितने जीरो के बाद लगाएं ,
किंग मिडास मरा सोने के निवाले से ,
"-हम ब्लैक -मनी कैसे हज़म कर जाएं ?"

गुरुजी रिटायर हुए ,फ़ंड के पांच लाख लेकर ,
सोचा ,एक पैसा छोड़ कर नहीं जाऊंगा ,
सपने में एक चादर दिखी अमेरिका -मेड ,
"-बस उसीमें बांधकर सब  ऊपर ले जाऊंगा। 

किसी नालायक के लिए कुछ नहीं छोड़ूँगा ,
पांच लाख की अमेरीकन चादर लाऊंगा ,
ख़्याल आया ,सब निपट जायेगा खरीदने में ,
-फिर गठरी में  बांधकर क्या ले जाऊँगा ?"

नेताजी सुख की  नींद सोये चुनाव ,के बाद ,
शपथ -ग्रहण से अभी-अभी लौटकर आए थे,
सपने में देखा , अचानक दल -बदल हो गया ,
वो पलटी मार गए ,जिनको पटाकर लाए थे।  

हाय देश -हित ,हाय गरीब ,हाय रे विकास ,
सपने में लहराती , विकास -गंगा की झांकी है ,
इस गंगा का उद्गम पकड़ पाया है,अब जाकर ,
किस सागर में मिलना है -अभी बाकी है। 

एक ,जागते हुए सपने देखता है ,
एक ,सुनहरे सपने की फसल बोता है ,
एक,सपने बेचता है,एक खरीदता है ,
एक ,बेखबर ,घोड़े बेचकर सोता है। 

ये जिन्दगी की डोर का अन -चीन्हा छोर है ,
बेशक ,सपनें ,हक़ीक़त में लंबी दूरी है ,
ये खुला आसमान है ,आदमी के वज़ूद का ,
बिना सपने के ये  जिन्दिगी अधूरी है। 
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                                              (C) keshavdubey
                                                     6-7-2016





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