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मंगलवार, 10 नवंबर 2015

शब्द -धारा (७ ) मैं मज़बूर हूुं डैड ---


डैडी, मैं  सुपरमोस्ट हूं ,
अगर फर्स्ट आता हूं ,
औ ऱ  पिछड़ गया तो ,
आपकी डांट खाता हूं।

मेरा प्रोग्रेस -कार्ड देखकर ,
आपने खूब डांट पिलाई ,
मगर अपनी पुरानी मार्क-शीट ,
मुझे कभी नंही दिखाई।

मैं  विनम्र बनू, आज्ञाकारी बनू ,
आप गुड-मैनर्स की बात कहे,
मम्मी -डैडी का महभारत हो ,
मग़र हम सुशील बच्चे रहें।

रात को चुपचाप सो जाऊँु ,
ना क़ुछ सुनूँ ,ना कुछ कँहू
आप कॉकटेल -पार्टी से लौटो ,
तब मैं  गहरी नींद में रहू।

फूली जेब में रखकर ,
आप बहुत कुछ छिपाते हो ,
क्या करुँ दिख जाता है ,
जो  मोटा  माल लाते हो.


मेरे लिए ऊँचे सपने देखे ,
इतने -इतने प्रयास किये।
मैंने  सपने सहेज रखे हैँ,
अगली पीढ़ी को ट्रांसफर के लिए।

गांधी, ,लिंकन के सदोपदेश ,
ये पढ़ना मुझको आता है,
मेरा दर्पण आप हो डैड ,
बाकी सब छुप जाता है।

महापुरषों की गाथाएँ ,
जीते जो जीवन-संघर्ष ,
क्या करुँ,मज़बूर हूं डैड ,
आप ही  हो मेरे आदर्श।

छोड़िए,आपने रटाया है-
अर्ली टू बेड एंड अर्ली टूराइज---
बतायेँ  मॉडर्न रूल क्या है -
टू बी हेल्थी,वेल्थी एण्ड वाइज।
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