शब्द -धारा (18 ) बाज़ार बंद है।
सूरज ऊगा है ,मगर जाग नहीं हुई है ,
शहर ,खामोश सा, डरा -डरा सा पड़ा है ,
सन्नाटा क्यों है?चौराहे का बापू -पुतला ,
लठिया टेके ,कुछ मना करते, खड़ा हैं।
झाड़ू फेरते हाथ, आज सड़कों से नदारद हैं ,
भीतरी छोड़ो,ऊपरी सफाई भी नंही हो रही,
हर आवाज़ का,शोर का, गला घोंटकर ,
अधनींदी सी खुसफुहट;जागती सी-सो रही।
कल शहर की हर गली में मुनादी हो गई थी -
'कम -अक्लो,क्या तुम्हे जुल्म सहना पसंद है ?
मुल्क,कौम,बस्ती,ईमान, रवायत-खतरे में है,
कल मोर्चा खुलेगा,इसलिए बाज़ार बंद है।'
बैरियर पे खाकी -वर्दी तैनात है ,मुस्तैद है ,
एक जवान दूसरे रंगरूट को ये सिखा रहा-
"लाठी, घुटने पे मारो,बस एक बार में फ्लैट",
लाठी भांजते,हुकूमत का आइना दिखा रहा।
एक बूढ़ा- जवान, चुपचाप खोया पुरानी याद में,
मुक़द्दर ने भी उससे क्या अजीब मज़ाक किया था ,
पिछले बंद में,वो बंद -सड़क पे लाठी ठोंकता रहा,
घर में उसके बीमार बेटे ने दम तोड़ दिया था।
सारी कठपुतलियों की डोर थामे मुस्कराते अक्स ,
छुपे,बैठे ,सियासत के तराज़ू पे तौलते अवाम को,
गुर्गों के हुज़ूम का,तादात का, मोल -भाव कर रहे ,
नोटों की पटरी पे सरपट दौड़ाते सारे, इंतिज़ाम को.
"पांच सौ फी आदमी ? ये तो बहुत ज्यादा रेट है,
आखिर एक दिन बाज़ार ही तो बंद कराना है,
लाठी -वाठी खाने को ढेर सारी पब्लिक जो रहेगी ,
तुम्हें तो चुपचाप पीछे से , खिसक जाना है। "
एक चापलूस गुर्गा कहता है दबी जुबान से-
"माई -बाप, पहले हमें कम पैसों की दरकार थीं,
अब माइक से बाइक तक सब महंगे हो गए,
फिर पिछले बंद में तो, आप ही की सरकार थी।"
बाज़ार बंद कराते, आखिर लाठी -चार्ज हो गया,
होना ही था,टी.वी. की प्राइम -न्यूज़ बनाना था,एक चापलूस गुर्गा कहता है दबी जुबान से-
"माई -बाप, पहले हमें कम पैसों की दरकार थीं,
अब माइक से बाइक तक सब महंगे हो गए,
फिर पिछले बंद में तो, आप ही की सरकार थी।"
बाज़ार बंद कराते, आखिर लाठी -चार्ज हो गया,
किसी एक की सियासत चमकाने की खातिर,
शहर की शोहरत पे बदनुमा दाग लगाना था।
कोहराम मचा था,भागते लोगों के सिर फूट रहे थे ,
बहकाई हुई भीड़ को लाठी का प्रसाद मिल रहा था,
चौराहे पे गाँधी- पुतले का आशीर्वाद देता हाथ,
कांपता हुआ,जैसे "नहीं -नहीं "करते हुये,हिल रहा था। .
भीड़ में घायल एक बच्ची की, फटकर गिरी क़िताब,
जिसमें से 'ए फॉर ऐप्पल' झांक रहा था-ये कहते-
ए से जेड तक सारी अकल हासिल कर ली है तुमने ,
अब तो गाँधी -पुतले से "पाठ -1" सीख लो; समय रहते।
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(C) keshavdubey
20-1-2017
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