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सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

शब्द -धारा (1) चलो परिभाषित करे

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      शब्द -धारा   (1)  चलो परिभाषित करे
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मेरी दो आँखे है,
और मैं देख सकता हूँ
कि सब एक्टर है,
और मैं?

मेरे दो कान है,
और मैं सब सुन सकता हूँ-
दिल की आवाज़ के अलावा,
जो इतनी पास है.

मेरा दिमाग है,
जो सोचता है,
सत्य अद्रश्य है,
-तो कौन अँधा है?

काम करने को ,
मेरे दो हाथ है,
जीवन रजिस्टर है,
तो मैं क्लर्क?

ये मेरे पैर है,
मैं भागता हूँ,
समय की छाया के पीछे,
आखिर ये race मज़ेदार है.

आपकी आस्था आपकी है,
और मेरी?--- मेरी,
क्यों दोनों का योग ऋणात्मक है,
 चलो परिभाषित करे.
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